Sunday, November 16, 2008

तेरी याद में ऐ-हसीन हम अश्क बहाते रहे
सुन के तेरे आशिकों से चर्चे
हम अपना खून सुखाते रहे
चाहा कई बार की तुझे अपना हाल-ऐ-दिल सुना दे मगर
जब भी तेरे रूबरू हुए जाने क्यूँ सकुचाते रहे

कई शामें बिताई हैं तेरे संग मैंने
कई रातों को देखे हैं तेरे सपने
पर जब कभी तुझसे कहना चाहा
कह सका ना हाल-ऐ-दिल अपने

--सरित गुहा ठाकुरता

Disclaimer: Written while I was working in Cypress Semiconductor... No inspirations, just random thoughts...

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