Thursday, November 13, 2008

परी
इन निगाहों में एक परी की
वो हसीन तस्वीर है की
बयान जिसके हुस्न की
नामुमकिन है शब्दों से करना

बारिश में जब वोह घुमती है
उसकी जुल्फों से टपकता पानी
देती है आब-ऐ-हयाद सा एहसास
जब मिले साथ में उसकी कम्सिम जवानी

इन निगाहों में एक परी की
वो हसीन तस्वीर है की

जब सामने आती है वो मेरे
तो होश कैसे रहे ऐ-सकी
छलकाती है वो अपनी निगाहों से जाम ऐसे
डूब जाएँ शहर के मैखाने बाकी

इन निगाहों में एक परी की
वो हसीन तस्वीर है की

आकर जो पास बैठे वो मेरे
तो शमशान भी लगे है जन्नत से बेहतर
जब नहीं है वोह इन निगाहों में
तो बन जाते हैं पल दोज़ख से बदतर

इन निगाहों में एक परी की
वो हसीन तस्वीर है की

उसकी गालों की वो लाली
उसके सुर्ख लैब जैसे मय की प्याली
सदा बेहोश रहना भी मंजूर है
मिल जाए जो दो घूँट उन होठों से खाली

इन निगाहों में एक परी की
वो हसीन तस्वीर है की

--सरित गुहा ठाकुरता


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